Friday, May 25, 2012

स्मृतिशेष भगवत रावत


दुनिया का सबसे कठिन काम है जीना
और उससे भी कठिन उसे, शब्द के
अर्थ की तरह
रच कर दिखा पाना

 -भगवत रावत
 जीवन को शब्द के अर्थ की तरह रच कर दिखाने वाले, हम सब के प्यारे कवि भगवत रावत नहीं रहे । आज २५ मई २०२१२ को उन्होंने भोपाल में अंतिम सांस ली। उनपर लमही पत्रिका ने एक महत्वपूर्ण विशेषांक निकाला था। जिसमें मेरा भी एक आलेख है। इस समय कुछ नया लिखने की मनःस्थिति नहीं बन रही है, इसलिए उन्हें श्रद्धांजलिस्वरूप उसे ही साझा कर रहा हूं। इस आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।


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6 comments:

pallav said...

यह सदमा है मेरे लिए.

जयकृष्ण राय तुषार said...

इस महान कवि को विनम्र श्रद्धांजलि |

रश्मि प्रभा... said...

सादर श्रद्धांजली

दिगम्बर नासवा said...

Vinamr shradhanjali hai mahan Kavi ko ...

प्रदीप कांत said...

यह एक महत्वपूर्ण आलेख था जो भगवत जी के कृतित्व व व्यक्तित्व पर प्रकाश डालता है

vijay bairagi said...

meine aaj dekha bhagvat ji par achchha laga ..vo yaad taja ho gai..