दुनिया का सबसे कठिन काम है जीना
और उससे भी कठिन उसे, शब्द के अर्थ की तरह
रच कर दिखा पाना।
-भगवत रावत
जीवन को शब्द के अर्थ की तरह रच कर दिखाने वाले, हम सब के प्यारे कवि भगवत रावत नहीं रहे । आज २५ मई २०२१२ को उन्होंने भोपाल में अंतिम सांस ली। उनपर लमही पत्रिका ने एक महत्वपूर्ण विशेषांक निकाला था। जिसमें मेरा भी एक आलेख है। इस समय कुछ नया लिखने की मनःस्थिति नहीं बन रही है, इसलिए उन्हें श्रद्धांजलिस्वरूप उसे ही साझा कर रहा हूं। इस आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।
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6 comments:
यह सदमा है मेरे लिए.
इस महान कवि को विनम्र श्रद्धांजलि |
सादर श्रद्धांजली
Vinamr shradhanjali hai mahan Kavi ko ...
यह एक महत्वपूर्ण आलेख था जो भगवत जी के कृतित्व व व्यक्तित्व पर प्रकाश डालता है
meine aaj dekha bhagvat ji par achchha laga ..vo yaad taja ho gai..
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