Friday, October 24, 2008

पहाड़ झांकता है नदी में


मनाली

पहाड़ झांकता है नदी में
और उसे सिर के बल खड़ा कर देती है नदी
लहरों की लय पर
हिलाती-डुलाती, नचाती-कंपकंपाती है उसे

पानी में कांपते अपने अक्स को देखकर भी
कितना शांत निश्चल है पहाड़
हम आंकते हैं पहाड़ की दृढ़ता
और पहाड़ झांकता है अपने मन में -
अरे मुझ अचल में इतनी हलचल
सोचता है और मन ही मन बुदबुदाता है-
किसी नदी के मन में झांकने की हिम्मत करे कोई पहाड़


-अरुण आदित्य
यह कविता मनाली शीर्षक कविता शृंखला की छह कविताओं में से एक है। वागर्थ में प्रकाशित।
साथ में प्रकाशित पेंटिंग विश्वप्रसिद्ध चित्रकार निकोलाई रोरिक की है। पेंटिंग का शीर्षक है-शी हू लीड्स।