अ आ यानी वर्णमाला सीखने की शुरुआत !
अ आ यानी अभी आज !
अ आ यानी अनसुनी आवाज
अ आ यानी अपना आसमान !
अ आ यानी अभिव्यक्ति- आनंद !
अ आ यानी अभय - आक्रोश !
अ आ यानी अन्तिम आदमी !
और अंततः
अ आ यानी अरुण आदित्य भी समझ सकते हैं !
तो शुरुआत हो चुकी है। और इस शुरुआत का श्रेय है कवि-कथाकार-फिल्मकार उदय प्रकाश को। ब्लाग पर आने को लेकर मन में कुछ उधेड़बुन थी, लेकिन उदय जी से चर्चा के बाद लगा कि अभिव्यक्ति के इस नए माध्यम की ताकत का इस्तेमाल अपनी बात लोगों तक पहुंचाने के लिए करना चाहिए। इस तरह यह अ आ अब आपके सामने है।
जल्दी ही नई पोस्ट के साथ मिलेंगे।
13 comments:
अ आ... यानी ब्लॉग की दुनिया में अग्रज कवि का स्वागत !!!
अद्भुत आरंभ भी ; स्वागत - मनीष [उदय प्रकाश जी के ब्लॉग पर आपकी प्रतिक्रिया पढ़ इतरागमन]
स्वागत आपका!
शुभकामनाएं!
gajab kar diya aapne
badhai...bade blogi hai aap
vinod purohit
स्वागतम् स्वागतम्
जाते हुए तो नहीं मिले थे आप
पर अब इधर ही स्वागतम् स्वागतम्
छोटी सी है दुनिया , पहचाने रास्ते हैं तुम
कहीं तो मिलोगे , कभी तो मिलोगे......
बधाई नए साल के मिलन की...
अनसुनी करेंगे , तो बुरा मानेंगे
प्रमोद जी, मनीष जी, संजीत जी, अजित जी,विनोद जी!
आप सब का शुक्रिया। दोस्तों की प्रतिक्रिया उत्साह बढ़ाती है।
अरुण
अरूण भाई संक्रांति-ओणम की बहुत बहुत शुभकामनाए!
परेश आप को भी संक्रांति-ओणम की बहुत -बहुत शुभ कामनाएं।
यार अरुण, मेरा ई-मेल पता तुम्हारे पास है, जरा मेल भेजो ताकि तुम्हारा पता मुझे मिले और ढंग से अ आ सीखें.
और मेरे चिट्ठे पर प्रतिक्रिया पर शुक्रिया.
बहुत दिमाग लगाना पड़ा इसे समझने में लेकिन एक नई शैली देखकर मन खुश हो गया
स्वागतम.
काकेश जी, आशीष जी धन्यवाद। आशीष जी दुनिया को भी हम आसानी से कहाँ समझ पा रहे हैं।
arun bhai bade dinon k baad aaapko dekha. bahut achcha laga. blog bhi sunder hai.
navneet sharma
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