Monday, March 2, 2009
अब तक क्या किया, जीवन क्या जिया!
सुबह आए कुछ फोनों से पता चला की आज मेरा जन्म-दिन है। लोगों की बधाइयां ली, धन्यवाद किया और लगे
हाथों अपने मन को भी खुश कर लिया। सुबह-सुबह मन खुश हो गया तो कुछ गुनगुनाने की इच्छा हुई। पर ऐसे खुशनुमा समय में भी 'जय हो' जैसी कोई उल्लसित पंक्तियाँ नहीं याद आईं। याद आयीं मुक्तिबोध की बीहड़ पंक्तिया, जो अब तक के किए धरे पर ही सवाल उठाती हैं:
दुःखों के दाग़ों को तमग़ों-सा पहना,
अपने ही ख़यालों में दिन-रात रहना,
असंग बुद्धि व अकेले में सहना,
ज़िन्दगी निष्क्रिय बन गयी तलघर,
अब तक क्या किया,
जीवन क्या जिया!
अब अगले साल इन सवालों का जवाब ढूंढने की कोशिश करूँगा। इसके अलावा और क्या कह सकता हूँ ख़ुद से।
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23 comments:
शुभाकामनाएं.
janam din bahut mubarak ho
बहुत बहुत बधाई .. आशा है अगले वर्ष तक आपको अपने प्रश्न का जवाब मिल जाएगा ... इसके लिए शुभकामनाएं।
bahut shubhkamnayein.
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ....जियो प्यारे हजार साल
badhai.
muktibodh ki panktiyan padhakar achchha laga.
sahi kaha hai apane.
janmdin ki shubhkamnain.
bihar ki ek sanskritik team hai HIRAWAL jiske saathi samkaleen kavitaon ko bahut sundar tarh se gitatmak roop se prastut karte hain, in panktiyon ko bhi we bahut sundar gate hain, kahin se wo aawaj yadi mile to suniyega zaroor.
जन्मदिन पर मुक्तिबोध को याद करने से ज्यादा शुभ संकेत क्या होगा. जिस समय में हम रह रहे हैं, ऐसे ही संबल ले कर चलना होगा. इन्हीं का सहारा है.
हार्दिक शुभकामनाएं.
हमें अपने बेहतरीन लेखन से समृद्ध बनाएं.
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ.
भाई बहुत सारी शुभकामनाएं।
मुक्तिबोध की पंक्तियाँ वाकई हर किसी को जन्मदिन के जश्न के बीच याद कर लेनी चाहियें. आपको बधाई और इन पंक्तियों के लिए धन्यवाद
बहुत बधाई..
अगले साल भी यही सवाल रहेगा... खैर... बीत चुके जन्मदिन की बहुत शुभकामनाएं.
Thodi der se janam din mubarak.
अरुण भाई,
जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं!
इष्ट देव जी, महक जी, संगीता जी, शायदा जी, बोधिसत्व जी, बहादुर, विजय, अनूप जी, डॉ अनुराग, अंशुमाली, धीरेश, रंजन, महेन, पल्लव और प्रकाश आप सब के प्रति हार्दिक आभार।
ढेर सारी शुभकामनाएं।
अब तक जिया
बहुत कछ किया
जो भी किया
दुनिया ने
नोटिस में ही नहीं लिया
बताओ!
मेरी क्या गलती भिया
ढेर सारी शुभकामनाएं ..
- प्रदीप व मधु कान्त
कृपया मेरी भी बधाइयाँ स्वीकारें
रवींद्र, प्रदीप और विवेक जी आप सब के प्रति भी हार्दिक आभार।
apako va apake pariwaar ko holi mubarak.
आपको होली की बधाई एवम घणी रामराम.
Muktibodh jinda hote to is tarah likhte
Ab tak kya kiya
60 hajar ki noukri ki
dilli me flat banaya
lala ke aage gidgidaya
blog par kavita peli
jiyan kya jiya
Mafi ke saath
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