tag:blogger.com,1999:blog-3745337117923153420.post4960217975468788229..comments2023-08-01T05:05:44.003-07:00Comments on अ आ: कविता के कुछ पतेArun Adityahttp://www.blogger.com/profile/11120845910831679889noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-3745337117923153420.post-22325333207557516912011-03-25T02:09:20.615-07:002011-03-25T02:09:20.615-07:00ऊन दिखता है
चर्चा होती है, उसके रंग की
बुनाई के ढं...ऊन दिखता है<br />चर्चा होती है, उसके रंग की<br />बुनाई के ढंग की<br />पर उपेक्षित रह जाता है खून<br />बूंद-बूंद टपकता<br />अपना रंग खोता, काला होता चुपचाप-<br />आपकी चारों कविताओं में से कई उद्धरण यहाँ प्रस्तुत किये जा सकते हैं. जब आपकी रचनाएँ पढ़ रहा था तो मन की विचित्र स्थिति थी- कौन सी पंक्तियाँ यहाँ रखूँ ... सभी तो लाजवाब हैं. ऊन और खून की गाथा जीवन के उस यथार्थ को प्रस्तुत करती है, जो आज हर जगह दिखाई देती है. और यह कडुआ सच भी है कि बहुत से ऐसे लोग हैं जो अपने आप को होम कर देते हैं, फिर भी उपेक्षित ही रहते हैं आज के समाज में . बधाई स्वीकारेंअवनीश सिंह चौहान / Abnish Singh Chauhanhttps://www.blogger.com/profile/05755723198541317113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3745337117923153420.post-81228897668017147712011-03-04T08:50:12.585-08:002011-03-04T08:50:12.585-08:00दक्षिण से वाम तक
वाम से अवाम तक
गूँज रहा है उसका स...दक्षिण से वाम तक<br />वाम से अवाम तक<br />गूँज रहा है उसका सवाल...<br /><br />बहुत बढिया कविता सर, कविताएं तो आपकी हमेशा से ही सरल सटीक और एक गहन भाव लिए होती हैं, लेकिन इस बार तारीफ आपके ब्लाग के डिजाइन की करूंगा, पुराना डिजाइन बोर था, यह अच्छा है फिर भी कालीन पर कबीर के पोरों से टपके रक्त की तरह इस डिजाइन में भी एक रंग की कमी खल रही है।Vhttps://www.blogger.com/profile/06891671664869928359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3745337117923153420.post-71528726366752597222011-02-27T05:14:56.381-08:002011-02-27T05:14:56.381-08:00बहुत खूब रहे चार यार - अब थोड़ा तिया पांचा कर लें! ...बहुत खूब रहे चार यार - अब थोड़ा तिया पांचा कर लें! - याने तीन और होतीं तो इन्द्रधनुष दीखता पांच और तो नवरस का आनंद :-)Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/08624620626295874696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3745337117923153420.post-62916220219127845142011-02-26T04:22:14.525-08:002011-02-26T04:22:14.525-08:00good. narayan narayangood. narayan narayanगोविंद गोयल, श्रीगंगानगर https://www.blogger.com/profile/04254827710630281167noreply@blogger.com